किताबों का शहर

  • By Birla School Pilani
  • September 12, 2024
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किताबों का शहर

आओ एक किताबों का शहर रचते हैं,
क्षणिक मनोरंजन के साधनों को इस से बाहर रखते हैं
आओ एक किताबों का शहर रचते हैं
पन्नों की खुशबू,
स्याही की चाल से,
भारत के भाल पे
और संस्कृति की ढाल से
नव पीढ़ी निर्माण करतें हैं
आओ
एक किताबों का शहर रचते हैं
कुछ किस्से तुम सुनाओ
कुछ कहानियां मैं सुनाऊं
बिजली की तारों में उलझी इस दुनियां को
किसी ओर लेकर चलते है
आओ
एक किताबों का शहर रचते हैं
तकनीकी युग में ध्वस्त होती भावनाओं को
फिर से जीवित करतें हैं
भारत के महान इतिहास की
स्वर्णिम रचनाओं को पढ़ते हैं
आओ
एक किताबों का शहर रचते हैं...

(सोनिरिका कृष्णियां)

बिरला स्कूल , पिलानी

*The views expressed in the blog are those of the author.